छत्तीसगढ़

युद्ध मैदान की संजय बनी-कर्नल सोफिया का अपमान बर्दाश्त नही


22 अप्रेल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए, 27 मासूम पर्यटकों को आतंकवादियों द्वारा नाम एवं धर्म पूछकर निर्मम हत्या के विरोध में पूरा देश आक्रोशित हो उठा। भारतीय सेना द्वारा कुशल-युद्ध-रणनीति के तहत 06 मई 2025 की रात 1.00 बजे को कश्मीर सीमा से लगे घने जंगलो में आतंकवादियो के 11 ठिकानों को हवाई हमला करके नेश्तानाबूद कर दिये। जिसमें कई आतंकवादियों के साथ उनके का आशियाना तक उजाड़ दिये गये है। भारतंीय सेना द्वारा अपने इस सैन्य कार्यवाही को ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ का नाम दिया गया। ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ में भारतीय सेना की दो महिला सेना आफिसर कर्नल सोफिया कुरैशी एवं विंग कमांडर व्योमिक सिंह की जबरदस्त युद्ध की रणनीति सफल रही है। जिसके परिणाम स्वरूप दुशमन-देश को युद्ध मैदान से हटना पड़ा। इस तरह समुचा देश, नारीशक्ति की करिशमा को देखा है। किंतु शर्म की बात है कि भारतीय सेना के महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी की कुशल रणनीति को सत्तापक्ष के राजनेता बर्दाश्त नही कर पाये। क्योकि सोफिया कुरैशी विशेष धर्म समुदाय के होने के कारण मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री द्वारा भारतीय सेना के महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर अशोभनीय टिप्पणी करते हुए, भारतीय सेना का अपमान किये है। इसके अलावा भारत के विदेश सचिव विक्रांत मिसरी द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के उपरांत सत्तापक्ष के समर्थको द्वारा विक्रांत मिसरी की परिवारो पर की गई अभद्र टिप्पणीयो से देश की जनता आहत हुई है। और तो और 27 पर्यटकों मे से जान गवांये, विनय नारवाल की पत्नि हिमांशी नारवाल को भी अशोभनीय ताने भी सुननी पड़ी। क्योकि हिमांशी नारवाल देशवासीयों से कश्मीरो के नागरिको एवं विशेष धर्म समुदायो पर आक्रोश न करने की विनती की थी।
मध्य प्रदेश रतलाम के विधायक एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह द्वारा 14 मई 2025 बुधवार के दिन इन्दौर के एक भरी सभा में भारतीय सेना के कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियो का बहन बताकर भारतीय सेना का अपमान किया गया है। परिणाम स्वरूप देश के प्रमुख राजनीतिक दलो के साथ, जनता सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन के साथ मंत्री का पुतला दहन भी किया गया है। और देश के प्रधानमंत्री से मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह का तुरन्त इस्तीफा एवं पार्टी से निष्कासन की मांग की गई है। तीव्र विरोध के चलते मंत्री विजय शाह ने पार्टी कार्यालय में आकर मांफी मांगते हुए कहां है कि- मेरे बयान को तोड़-मडोकर पेश किया गया है। मै सोफिया कुरैशी को हमेशा बहन से बड़कर माना है।
सत्तापक्ष की यह कैसी दोहरी मानसिकता है–? कि विशेष धर्म समुदाय के महिला सैन्य अधिकारी की वीरता को स्वीकारने के बजाय उन्हे आतंकवादियो का बहन कहना, भारतीय सेना का अपमान है। और आज समुचा देश की एक ही अवाज है कि- ऐसे गंदे विचार धारा की सोच रखने वाले जनप्रतिनिधी को, सभय समाज कभी बर्दाश्त नही करेगा। ऐसे जनप्रतिनिधि को मध्य प्रदेश सरकार तुरंत बर्खास्त करे। दूसरी तरफ मध्य प्रदेश जबलपुर माननीय हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए, मध्य प्रदेश सरकार को तत्काल मंत्री विजय शाह पर थ्प्त् दर्ज करते हुए, माननीय न्यायालय को सुचित करने का आदेश पारित किये है। इसी संदर्भ पर सत्तापक्ष के पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा भारतीय सेना के महिला सेना अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर, मध्य प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह की अभद्र टिप्पणी को नींदनीय बताया गया है। और मंत्री विजय शाह को ‘‘बेवकूफ’’ भी बताया गया है।
सत्तापक्ष द्वारा महिला सशक्तिकरण पर कई बड़े-बड़े आयोजन करके, महिलाओं की सर्वागीण विकास पर हमेशा फोकस किया जाता रहा है। किंतु ‘‘महिला विरोधी’’ की मानसिकता होने के कारण समस्त लाभांवित योजन फाईलो में बंद पड़ी हुई है। 22 अप्रेल 2025 की पहलगाम में घटित घटना के अनुसार 27 पर्यटको को आतंकवादियो ने गोली मारकर हत्या कर देने से, पूरा देश शोक मे डूब गया। 27 पर्यटको की जान को भारतीय सेना द्वारा ‘‘ऑपरेशन सिंदूर’’ का नाम देकर दुश्मनो पर कहर बनकर टूट पड़े। भारतीय संस्कृति में महिलाये ‘‘सिंदूर’’ को सुहाग का प्रतीक मानती है। आतंकवादियों द्वारा कई बार हमला करके मासूम लोगों की जान लिए है। इस दौरान कई महिलाओं का ‘‘सिंदूर’’ मिट गया। वर्तमान के आधुनिक काल में कई शादी शुदा औरते अपनी मांग में ‘‘सिंदूर’’ नही लगाती है। क्योकि नई फैशन का दौर चल पड़ा है कि- ‘‘सिंदूर’’ लगाना या मात्र बिंदी लगाना या दोनो न लगाना, प्रगतिशील विचारधारा की औरते जाने जाते है। इसी संदर्भ पर सिनेमा जगत की दीपिका पादुकोने की लघु फिल्म ‘‘माई चॉइस’’ बनी है। दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर बंगाली समाज की सुहागन औरते, पूजा के अंतिम दिनो में मां-दुर्गा की विदाई पर ‘‘सिंदूर खेला’’ करके अगामी वर्ष पुनः विराजने की मां-दुर्गा से विनती करती है।
पहलगाम के आतंकी हमले से 27 मासूम पर्यटकों की जान लेने वाले पड़ोसी देश पाकिस्तान का नाम सामने आने के बाद से, देश की सुरक्षा पर लगातार प्रश्न, विपक्षी दलों द्वारा किया जा रहा है। भारतीय सेना ने 1971 को भारत देश पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से युद्ध करके, अजाद बंगलादेश की स्थापना करके, पूरे विश्व में अपनी शौर्यता का परिचय दिये है। इसी संदर्भ पर दिल्ली में स्थित ‘‘इंडिया गेट’’ के पास 26 जनवरी 1972 को, भारत सरकार द्वारा युद्ध में शहदत हुए वीर सैनिको की याद में ‘‘अमर जवान ज्योति’’ का स्थापना किया गया है। किंतु दुख की बात है कि- सत्तापक्ष द्वारा ‘‘इंडिया गेट’’ से ‘‘अमर जवान ज्योति’’ को हमेशा के लिए बुझा दिया गया है। और इन्ही सत्तापक्ष द्वारा आज बहादुर सेना की शौर्य वीरता की गुणगान करने केे लिए 14 मई से 24 मई 2025 तक पूरे देश में ‘‘तिरंगा यात्रा’’ का आयोजन किया गया है। पुलवामा में शहीद हुए सैनिको के नाम पर ये सरकार 2019 को पुनः सत्ता पर आसीन हुई है। दुर्भाग्य की बात है कि हमेशा भारतीय सेना को सत्तापक्ष द्वारा ‘‘सत्ता की चांबी’’ मानकर चलती है। इसके अलावा हदे तो, तब पार हो गई जब देश का बहादुर भारतीय सेना को ‘‘अग्नीवीर’’ का संज्ञा देकर, इनके कार्यकाल को मात्र 04 साल का कर दिया है। ऐसी परिस्थिती में सेना-विहीन देश कैसे सुरक्षित रहेगा–?
(ये लेखक के निजी विचार है)

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