छत्तीसगढ़

युक्तियुक्तकरण से दुरूस्त हुआ शिक्षा व्यवस्था

गांव-गांव में लौटी पढ़ाई की रौशनी

रायपुर . मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा स्कूली शिक्षा को सशक्त, संतुलित और गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में उठाए गए युक्तियुक्तकरण के निर्णय का प्रभाव अब ज़मीनी स्तर पर देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शुरू की गई इस पहल के तहत जिले में शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय स्कूलों की तस्वीर अब पूरी तरह बदल गई है।

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अब खैरागढ़-छुईखदान- गंडई जिले की कोई भी प्राथमिक, माध्यमिक या उच्चतर माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन नहीं है। शिक्षक विहीन दो प्राथमिक शालाओं में जैसे ही शिक्षकों की नियुक्ति हुई, वहां के ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई। गर्रापार गांव के प्राथमिक शाला में नियुक्त शिक्षक को देखकर पालक रामविलास पटेल ने खुशी जताते हुए कहा कि सरकार की इस योजना ने हमारे बच्चों की पढ़ाई को एक नई दिशा दी है।

इसी कड़ी में 98 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं और तीन एकल शिक्षकीय हाईस्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, बल्कि अब बच्चों को व्यक्तिगत रूप से ध्यान मिलना शुरू हो गया है। शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ने से स्कूलों में कक्षाओं का संचालन भी सुचारु हो गया है और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हो रहा है।

यह सुधार न सिर्फ शिक्षकों की संख्या को लेकर है, बल्कि यह गांव-गांव में शिक्षा की अलख जगाने की दिशा में एक सार्थक कदम भी है। अब जिले के बच्चे बेहतर शिक्षण व्यवस्था के बीच आगे बढ़ सकेंगे और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान बना सकेगा।

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