छत्तीसगढ़

“अब नहीं मिला न्याय, तो करेंगे आत्मदाह”, पुश्तैनी ज़मीन की लड़ाई में कलेक्टोरेट के सामने परिवार सहित भूख हड़ताल पर बैठा शख्स

गरियाबंद। जिले के अमलीपदर तहसील अंतर्गत खरीपथरा गांव के रहने वाले मुरहा नागेश अपनी पुश्तैनी 7 एकड़ ज़मीन को वापस पाने की मांग को लेकर सोमवार सुबह से परिवार सहित गरियाबंद कलेक्टोरेट के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। मुरहा के साथ उसकी पत्नी और दो छोटे बेटे भी खाली बर्तन लेकर प्रदर्शन में शामिल हैं। बगल में लगाए बैनर में परिवार ने सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी भी दी है। 48 वर्षीय मुरहा नागेश का आरोप है कि उनके पूर्वजों की 7 एकड़ कृषि भूमि पर गांव के कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है। मुरहा का कहना है कि राजस्व विभाग की मिलीभगत से रिकॉर्ड में हेरफेर कर उक्त ज़मीन दूसरों के नाम चढ़ा दी गई। पिछले 5 वर्षों से यह मामला बंदोबस्त सुधार के तहत तहसील कार्यालय में लंबित था।कुछ दिन पहले ही अमलीपदर तहसील से मुरहा के पक्ष में फैसला आया था, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिली। लेकिन मुरहा के अनुसार, तीन दिन के भीतर ही विरोधी पक्ष ने इस आदेश को मैंनपुर एसडीएम कोर्ट में चुनौती दे दी। इसके बाद एसडीएम कार्यालय ने मुरहा को उसकी ज़मीन पर कृषि कार्य करने से रोक लगा दी है।

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मुरहा ने बताया कि बंदोबस्त सुधार के इस पूरे मामले में अब तक वह लगभग दो लाख रुपये रिश्वत में दे चुका है, जो उससे तीन बार में ली गई। पहली बार 1 लाख, फिर 60 हजार और अंत में 20 हजार, तब कहीं जाकर तहसील से फैसला आया। मुरहा का दावा है कि रिश्वत की रकम उसने कर्ज लेकर चुकाई है।मुरहा का कहना है कि न्याय पाने के लिए वह तहसील से लेकर कलेक्टोरेट तक चक्कर काट-काट कर थक चुका है, लेकिन अब तक हक नहीं मिला। उनका कहना है कि गांव के दबंगों द्वारा ज़मीन से बेदखल किए जाने के बाद उनका परिवार आर्थिक तंगी में जी रहा है और अब उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा।

इस पूरे मामले में मुरहा के रिश्तेदार ईश्वर नागेश ने भी दस्तावेज़ों में हेरफेर का आरोप लगाया है और कहा कि ज़मीन का रिकॉर्ड जानबूझकर गलत दिखाया गया है। अब देखना यह है कि भूख हड़ताल पर बैठे इस परिवार की आवाज़ शासन-प्रशासन तक कब पहुंचेगी और क्या उन्हें उनका हक मिल पाएगा या फिर ये मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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