व्यापार

यूपी-बिहार बन सकते हैं फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग हब, ताइवान-वियतनाम की कंपनियों ने दिखाई निवेश में रुचि

व्यापार : ताइवान और वियतनाम की कंपनियां भारत के गैर-चमड़ा फुटवियर क्षेत्र में निवेश करना चाहती हैं। चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) के चेयरमैन आरके जालान ने रविवार को बताया, इन देशों की कंपनियों के निवेश को सुगम बनाने के लिए सरकारी समर्थन बेहद जरूरी है, ताकि वे अपनी विनिर्माण सुविधाओं के लिए इन वस्तुओं का देश में आसानी से आयात कर सकें। उन्होंने कहा, ये दोनों देश वैश्विक फुटवियर क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी हैं। वियतनाम फुटवियर के निर्माण और निर्यात का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र है। ताइवान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के लिए फुटवियर के डिजाइन, विकास और उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है।

ADs ADs ADs

उत्पादकता-निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्रित योजना शुरू करे सरकार

जालान ने कहा, सरकार को उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और निर्यात बढ़ाने के लिए बजट में घोषित फुटवियर एवं चमड़ा क्षेत्रों के लिए केंद्रित उत्पाद योजना शुरू करनी चाहिए। इस योजना से गैर-चमड़े के गुणवत्ता वाले फुटवियर के उत्पादन के लिए आवश्यक डिजाइन क्षमता, कलपुर्जा विनिर्माण और मशीनरी को समर्थन मिलेगी।

यूपी और बिहार में निवेश के अपार अवसर

कानपुर की कंपनी ग्रोमोर इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक यादवेंद्र सिंह सचान ने कहा, ताइवानी कंपनियां पहले ही तमिलनाडु की इकाइयों में निवेश कर चुकी हैं। उनके पास फुटवियर बनाने की सर्वोत्तम तकनीक हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में निवेश के अपार अवसर हैं, क्योंकि इन राज्यों में किफायती श्रम उपलब्ध है।

अमेरिका भारतीय निर्यातकों के लिए शीर्ष गंतव्य

जालान ने कहा, देश का निर्यात अच्छी दर से बढ़ रहा है और परिषद 2025-26 में सात अरब डॉलर मूल्य के निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रही है। 2024-25 में निर्यात 5.75 अरब डॉलर रहा था। 95.7 करोड़ डॉलर (20 फीसदी हिस्सेदारी) मूल्य के निर्यात के साथ अमेरिका भारतीय निर्यातकों के लिए शीर्ष गंतव्य रहा। इसके बाद ब्रिटेन (11 फीसदी) और जर्मनी का स्थान है। उन्होंने कहा, इस वर्ष निर्यात में करीब 18 फीसदी वृद्धि की उम्मीद है।

निर्यात में इस साल 18 फीसदी वृद्धि की उम्मीद

जालान ने कहा, देश का निर्यात अच्छी दर से बढ़ रहा है और परिषद 2025-26 में सात अरब डॉलर मूल्य के निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रही है। 2024-25 में निर्यात 5.75 अरब डॉलर रहा था। 95.7 करोड़ डॉलर (20 फीसदी हिस्सेदारी) मूल्य के निर्यात के साथ अमेरिका भारतीय निर्यातकों के लिए शीर्ष गंतव्य रहा। इसके बाद ब्रिटेन (11 फीसदी) और जर्मनी का स्थान है। उन्होंने कहा, इस वर्ष निर्यात में करीब 18 फीसदी वृद्धि की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button