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इस आदत से आपके शरीर में फैल रहा है धीमा जहर, आज से बंद कर दीजिए ये काम

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, समय की कमी और सुविधा के चक्कर में हमारी खाने की आदतें पूरी तरह से बदल गई हैं। अब हम ताजे भोजन के बजाय बासी और बार-बार गर्म किए गए भोजन को अपना रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यह आदत हमारे शरीर और मन दोनों के लिए एक धीमा ज़हर बन रही है? आधुनिक विज्ञान और हजारों साल पुराने आयुर्वेद, दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि बासी भोजन केवल पेट भरने की चीज नहीं, बल्कि यह हमारी सेहत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।

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आयुर्वेद के अनुसार, भोजन सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं होता, बल्कि यह हमारे शरीर, मन, बुद्धि और भावनाओं को भी प्रभावित करता है। आयुर्वेद में भोजन को उसकी ‘प्राणशक्ति’ यानी जीवन ऊर्जा के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। ताज़ा बना हुआ भोजन ‘सात्विक’ होता है। इसमें भरपूर प्राणशक्ति होती है, जो शरीर और मन को पोषण देती है। आयुर्वेद कहता है कि भोजन को पकने के कुछ घंटों के भीतर ही खा लेना चाहिए ताकि उसमें मौजूद पोषण और जीवन ऊर्जा बनी रहे।

वहीं, भोजन जब 8 घंटे से ज्यादा रखा रहता है, तो वह ‘राजसिक’ हो जाता है, जिससे शरीर में चंचलता और बेचैनी बढ़ती है। इसके बाद, यही भोजन ‘तामसिक’ हो जाता है, जो शरीर में सुस्ती, भारीपन, और मानसिक थकावट पैदा करता है। यही कारण है कि आयुर्वेद हमेशा ताज़ा और घर का बना भोजन खाने की सलाह देता है।

ऐसे मिलते हैं वैज्ञानिक प्रमाण

आयुर्वेद की इस बात का समर्थन आधुनिक विज्ञान भी करता है। अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए शोध बताते हैं कि जो लोग ताजे, घर के बने भोजन का ज्यादा सेवन करते हैं, उनकी सेहत बेहतर होती है। वे जंक फूड खाने वालों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं, और उन्हें मोटापा, डिप्रेशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है। इसके विपरीत, बार-बार गर्म किया गया या लंबे समय तक रखा हुआ बासी खाना खाने से पाचन तंत्र कमजोर होता है और शरीर में विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन्स) जमा होने लगते हैं।

जब हम किसी भी भोजन को दोबारा गर्म करते हैं, तो उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे चावल, आलू, और पालक को दोबारा गर्म करने पर इनमें हानिकारक बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। बार-बार गर्म किया गया तेल भी टॉक्सिक हो जाता है, जो हृदय रोग और कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।

बच्चों और युवाओं पर पड़ रहा है बुरा असर

बासी भोजन और जंक फूड का सबसे बुरा असर बच्चों और युवाओं पर पड़ता है। जो बच्चे बासी और ठंडा खाना ज्यादा खाते हैं, उनकी एकाग्रता कम होती है, वे जल्दी थक जाते हैं और उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है। ऐसे भोजन से उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी बाधित होता है। ताज़ा और सात्विक भोजन खाने वाले बच्चों का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है, मानसिक स्थिरता बनी रहती है और उनके व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसलिए माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे ताज़ा और पौष्टिक भोजन ही करें।

ये हैं कुछ लाभकारी सुझाव

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए हमें कुछ आसान उपाय अपनाने होंगे:—

1. ताज़ा भोजन को प्राथमिकता दें: कोशिश करें कि हर बार ताज़ा और घर का बना भोजन ही खाएं। एक बार में उतना ही खाना बनाएं, जितना आप खा सकें।

2. संतुलित आहार: अपनी डाइट में हरी सब्जियां, फल, दालें और अनाज शामिल करें। ये सभी पोषक तत्व शरीर को ऊर्जा देते हैं और बीमारियों से बचाते हैं।

3. समय पर खाएं: भोजन को शांत मन से और सही समय पर खाएं। जल्दबाजी में खाना खाने से पाचन खराब हो सकता है।

4. जंक फूड से दूरी: जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें, क्योंकि इनमें पोषक तत्व न के बराबर होते हैं और ये शरीर में सिर्फ हानिकारक चीजें बढ़ाते हैं।

आपको बता दें कि हमारा शरीर एक मशीन की तरह है जिसे सही ‘ईंधन’ की जरूरत होती है। बासी और दोबारा गर्म किया हुआ भोजन हमें केवल पेट भरने का एहसास देता है, लेकिन यह हमारे शरीर की आंतरिक कार्यप्रणाली को धीरे-धीरे कमजोर कर देता है। इसलिए, अगर हम स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं, तो हमें ताज़ा और पौष्टिक भोजन को अपनी आदत बनाना होगा।

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