छत्तीसगढ़

आशिका सिंघल की हुई प्रशंसा चक्रधर समारोह में

रायगढ़। 40वें चक्रधर समारोह में आशिका सिंघल की मनमोहक प्रस्तुति ने बटोरे प्रशंसा के स्वर,
कला और संस्कृति की परंपरा को जीवंत करने वाले 40वें चक्रधर समारोह में इस बार भी संगीत और नृत्य की सुरम्य गंगा बही। देशभर से आए विद्वान कलाकारों के बीच जब बाल प्रतिभाओं की प्रस्तुतियाँ हुईं, तो दर्शक विशेष रूप से उत्साहित नज़र आए। इन्हीं में से एक रही आशिका सिंघल की प्रस्तुति, जिसने अपनी अद्भुत नृत्य कला से सबका मन मोह लिया।
रायगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और संगीत-नृत्य की परंपरा का प्रतीक 40वां चक्रधर समारोह इस वर्ष 27 अगस्त से आरंभ हुआ है, जो 5 सितम्बर तक चलेगा। उद्घाटन सत्र में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, माननीय राज्यपाल श्री रमण डेका, छत्तीसगढ़ कैबिनेट मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी तथा छत्तीसगढ़ के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री राजेश अग्रवाल की गरिमामयी उपस्थिति रही। समारोह के शुभारंभ अवसर पर प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास की विशेष प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और पूरे माहौल को उत्सवमय बना दिया।

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सिर्फ 7 वर्ष की उम्र में मंच पर जिस आत्मविश्वास और सहजता के साथ आशिका ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया, वह अद्वितीय रहा। उनकी गुरु नेहा सिंह के मार्गदर्शन में की जा रही साधना इस प्रस्तुति में स्पष्ट झलक रही थी। आशिका इस समय चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से कथक की आध्यात्मिक परीक्षाएँ दे रही हैं और प्रथम वर्ष में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
इस भव्य समारोह का समापन 5 सितम्बर को होगा, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। कला-प्रेमियों का मानना है कि 40वां चक्रधर समारोह नई पीढ़ी की प्रतिभाओं और वरिष्ठ कलाकारों, दोनों के लिए एक अविस्मरणीय मंच सिद्ध हो रहा है।

समारोह के दौरान जब उन्होंने ताल और लय के साथ भाव-भंगिमा का सुंदर संगम प्रस्तुत किया, तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दर्शकों ने कहा कि इतनी कम उम्र में ऐसी परिपक्वता और लयबद्धता असाधारण है। मंच पर उनकी उपस्थिति और अभिव्यक्ति ने यह संकेत दिया कि आने वाले समय में वे भारतीय शास्त्रीय नृत्य, विशेषकर कथक, की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनाएँगी।
चक्रधर समारोह, जो रायगढ़ घराने की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है, में आशिका जैसी नई पीढ़ी की प्रतिभाओं का मंचन यह दर्शाता है कि भारतीय शास्त्रीय कलाएँ आने वाली पीढ़ियों में भी सुरक्षित और जीवंत हैं। विद्वानों का मानना है कि इस मंच पर आशिका जैसी नन्हीं नृत्यांगना का प्रदर्शन भारतीय शास्त्रीय नृत्य के उज्ज्वल भविष्य की झलक है। कला-प्रेमियों और विद्वानों का मानना है कि आशिका की प्रस्तुति 40वें चक्रधर समारोह को और भी यादगार बना देगी।आशिका की भाव-भंगिमा, ताल और लय पर पकड़ उन्हें उनके समकालीन बाल कलाकारों से अलग पहचान दिलाती है। समारोह में उनकी प्रस्तुति भारतीय शास्त्रीय नृत्य, विशेषकर कथक की समृद्ध परंपरा और नई पीढ़ी की ऊर्जा का सुंदर संगम पेश करेगी।

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