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प्रेग्नेंसी में हो रहे सिरदर्द को हल्के में लेने की ना करें भूल, मां और बच्चे को हो सकता है खतरनाक

महिलाओं के शरीर में प्रेग्नेंसी से लेकर मेनोपॉज तक कई सारे बदलावों से होकर गुजरना पड़ता है। कई बार महिलाएं डॉक्टर के पास जाकर सही समाधान नहीं ले पाती। ऐसे में ये समस्याएं उन्हें दर्द से जूझने पर मजबूर कर देती है। लेकिन इस कॉलम में हमारी हेल्थ एक्सपर्ट की मदद से महिलाएं अपने स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों को बेझिझक पूछ सकती हैं और सही दिशा में हल भी पा सकती हैं।

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• मेरी उम्र 29 साल है और मैं सात माह की प्रेग्नेंट हूं। प्रेग्नेंसी के तीसरे माह से ही कभी-कभार मुझे हल्का सिर दर्द रहने लगा है। प्रेग्नेंसी से पहले मुझे इस तरह की शिकायत कभी नहीं थी। क्या ऐसा होना सामान्य है? इसकी वजह क्या है और इस बारे में मुझे क्या करना चाहिए?

प्रेग्नेंसी में सिर दर्द कई लोगों को हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है। पर, अगर आपको आजकल अकसर सिर दर्द की शिकायत रहती है, तो डॉक्टरी जांच से यह जानने की कोशिश जरूर करें कि इसके पीछे प्रेग्नेंसी की वजह से होने वाली उच्च रक्तचाप की समस्या तो जिम्मेदार नहीं है। प्रेग्नेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन यानी पीआईएच का मतलब होता है, प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में ऐसे बदलाव आना जिसकी वजह से रक्तचाप बढ़ जाता है। इसकी वजह से सिर में दर्द, आंखों के आगे धुंधलापन, लिवर वाले हिस्से में दर्द, छाती में जलन, हाथ-पैर एकदम सूज जाना और रक्तचाप बढ़ने जैसी समस्या होती है। इसके लिए डॉक्टरी परामर्श में दवा जरूर चलनी चाहिए क्योंकि पीआईएच को नियंत्रित नहीं किया जाए तो भविष्य में स्थिति अनियंत्रित हो जाती है और मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों की जिंदगी को खतरा हो सकता है। कुछ लोगों को प्रेग्नेंसी में सिर दर्द आंखों में कमजोरी आने यानी आंखों का पावर बढ़ने की वजह से भी होता है। यदि आपको आंखों से जुड़ी समस्या महसूस हो रही है, तो इस बात को भी डॉक्टर से अपनी समस्या साझा करते वक्त बताएं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी से अलग कोई समस्या आपके सिर दर्द के लिए जिम्मेदार न हो, इस बात की तसदीक करने के लिए एक बार फिजिशियन से भी परामर्श जरूर लें।

• मैं एक 52 वर्षीय महिला हूं और प्री मेनोपॉज से जुड़ी समस्याओं जैसे कि अनिंद्रा, कमजोरी, चिड़चिड़ापन,ओवर थिंकिंग आदि से जूझ रही हूं। डॉक्टर से भी राय ली है। उनका कहना है कि ये सब सामान्य है। सब टेस्ट रिपोर्ट्स सामान्य हैं, बस विटामिन-डी थोड़ा कम है, जिसकी दवा वो दे रहीं हैं। क्या सच में इस समस्या का कोई समाधान नहीं है?

ये सब मेनोपॉज के दौरान होने वाले आम लक्षण हैं। अकसर कई सारे लोगों को मेनोपॉजल और पेरीमेनोपॉजल पीरियड में इस तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। अनिंद्रा, कमजोरी, हॉट फ्लेशेज, चिड़चिड़ापन आदि सब इस दौरान होने वाली आम समस्या है और इन्हें लेकर आपको घबराने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। विटामिन-डी, बी-12 और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों की कमी शरीर में इस दौरान होना भी बेहद आम है। इन समस्याओं का सामना करने के लिए जीवनशैली में बदलाव, योग, टहलना, नियमित व्यायाम, आहार में फाइटोएस्ट्रोजेन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सोयाबीन और उससे बने प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ाने से भी लाभ होगा।

इसके अलावा नियमित रूप से केमोमाइल-टी का सेवन और ध्यान करने से भी कुछ हद तक आपको मेनोपॉज के इन लक्षणों में आराम मिल सकता है। पर, ये सारी समस्या शरीर में कुछ खास हार्मोन का निर्माण बंद होने की वजह से होती हैं। जिन लोगों को प्रीमेनोपॉज के दौरान बहुत ज्यादा समस्या होती है, उन्हें हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने की सलाह दी जाती है, जो हमेशा गोइनेकोलॉजिस्ट की सलाह और देखरेख में ही होनी चाहिए। पर, जीवनशैली में जरूरी बदलाव लाकर भी इन समस्याओं पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। चाय-कॉफी का सेवन कम कर दें। साथ ही अपनी डाइट में नमक की मात्रा भी कम कर दें। फल, मेवे, बीज, बेरीज और हरी सब्जियों की मात्रा डाइट में बढ़ा देने पर भी कुछ लोगों को काफी लाभ होता है।

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