शिक्षा केवल पुस्तकीय नहीं बल्कि चरित्र निर्माण करने वाली होना चाहिए



ऑल इंडिया आइडिल टीचर एसोसिएशन (AIITA) राज्य स्तरीय कार्यशाला
रायपुर।अल–फलाह टावर, बैरन बाज़ार, रायपुर छत्तीसगढ़ में 7 सितंबर को aiita का राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुआ।


कार्यक्रम का प्रारम्भ पवित्र क़ुरआन के पाठ से हुआ। जनाब अब्दुलहद साहब ने “पढ़ो अपने उस पालनहार के नाम से जिसने पैदा किया” (अल-अलक: 1) का पाठ करते हुए शिक्षा की वास्तविक आत्मा को सामने रखा।
कार्यशाला की झलकियाँ
ख़ालिद इक़बाल साहब (केंद्रीय सचिव AIITA) और सफ़िया अंजुम साहिबा (महिला संयोजक AIITA) ने शिक्षा के व्यावहारिक पहलुओं पर विचार प्रस्तुत किया। उनके भाषणों में यह बात स्पष्ट रही कि शिक्षा केवल पुस्तकीय नहीं बल्कि चरित्र निर्माण करने वाली होनी चाहिए।
फ़ाख़िरा तबस्सुम साहिबा (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं राज्य महिला संयोजक) ने उत्साहपूर्ण स्वागत भाषण दिया, जिसमें शिक्षकों को यह स्मरण कराया गया कि नई पीढ़ी के नैतिक और वैचारिक संस्कार उनके ही हाथों में हैं।
असलम फ़िरोज़ साहब ने “दीर्घकालिक शिक्षा” विषय पर अपने विचार रखते हुए यह स्पष्ट किया कि केवल डिग्रीधारी पीढ़ी और संस्कारयुक्त पीढ़ी में कितना बड़ा अंतर होता है।
वाइस प्रेसिडेंट, एहमद हसन साहब जमाअत ए इस्लामी हिंद छत्तीसगढ़ ने अपने उद्बोधन में सिरत-ए-मुबारका हज़रत आयशा का उल्लेख करते हुए शिक्षकों के लिए कुर्बानी, ईमानदारी और सब्र के जज़्बे को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यदि शिक्षक अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाएँ, तो विद्यार्थियों की नई पीढ़ी भी इन्हीं आदर्शों से प्रेरित होगी।
कार्यक्रम में वैदिक फाउंडेशन के प्रेसिडेंट सैयद सलमा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और इस कार्यक्रम की सराहना भी की।
कार्यक्रम का संचालन पहले जुनैद सिद्दीकी साहब ने आरम्भ किया और आगे इसे डॉ. सबा कुरैशी साहिबा ने सुव्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाया।
ओपन सेशन में शिक्षकों ने न केवल अपना परिचय दिया बल्कि प्रश्नोत्तर के माध्यम से शिक्षा के नए आयामों पर विस्तृत चर्चा की।
समापन उद्बोधन सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर डॉ. ज़किया बेगम साहिबा ने गरिमापूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया।
यह कार्यशाला AIITA के इस मिशन को और अधिक स्पष्ट करती है कि –
शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व निर्माण है,
विद्यार्थियों के भीतर नैतिक मूल्यों का विकास करना है।
यह कार्यक्रम इस बात का सजीव प्रमाण रहा कि यदि शिक्षा को उसकी वास्तविक आत्मा के साथ प्रस्तुत किया जाए तो नई पीढ़ी को केवल डिग्रीधारी ही नहीं बल्कि चरित्रवान भी बनाया जा सकता है।
अंत में AIITA के प्रदेश अध्यक्ष तुफैल कुरैशी साहब ने कहा कि आने वाले वक्त में हम शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों के लिए भी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा।