छत्तीसगढ़

देशभक्ति और मसीही विश्वास: शासन के लिए प्रार्थना करें, न्याय के साथ चलें

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संदेश – नितिन लॉरेंस, सचिव, Diocese of Chhattisgarh, के कलम से

प्रिय देशवासियों और मसीही भाइयों-बहनों

आज के समय में जब राष्ट्र अनेक चुनौतियों से गुजर रहा है — सामाजिक, नैतिक और आत्मिक — ऐसे समय में हमें याद रखना है कि एक सच्चा मसीही केवल चर्च का सदस्य नहीं, बल्कि राष्ट्र का जागरूक, उत्तरदायी और प्रार्थना में खड़ा रहने वाला नागरिक भी होता है।
बाइबल कहती है:
“हर एक व्यक्ति ऊँचे पद वालों के अधीन रहे, क्योंकि कोई भी अधिकार ईश्वर की ओर से हीं होता… अधिकारी तो परमेश्वर के सेवक हैं, तेरे भले के लिए।”

(हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर स न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।)

(क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्ड दे।)
– रोमियों 13:1,4

ईश्वर ने हर राष्ट्र को उसके समय पर नेता दिए हैं — राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य शासकीय अधिकारी। जब वे न्याय, शांति और जनकल्याण के लिए कार्य करते हैं, तो वे परमेश्वर की योजना का हिस्सा होते हैं।

यीशु मसीह का दृष्टिकोण भी स्पष्ट था:
“कैसर की वस्तुएँ कैसर को दो, और परमेश्वर की वस्तुएँ परमेश्वर को।”
– मत्ती 22:21
इसका मतलब है कि हम ईश्वर की भक्ति करें और साथ ही राष्ट्र के प्रति भी अपना दायित्व निभाएँ।

हमारा बुलावा क्या है?

हम शासन की बुराई नहीं, उसके लिए प्रार्थना करें

सत्य, नम्रता और प्रेम से समाज में बदलाव लाएँ

जब अन्याय हो, तो नबी जैसे आवाज़ उठाएँ — लेकिन हिंसा या घृणा से नहीं, मसीही प्रेम से
और सबसे बढ़कर, देश के लिए यीशु मसीह की शांति और आशा को प्रकट करें


पौलुस प्रेरित हमें सिखाते हैं:
“सब प्रकार की बिनती और प्रार्थनाओं के द्वारा… सब मनुष्यों के लिए निवेदन किया जाए; राजाओं और सब ऊँचे पद वालों के लिए भी, ताकि हम चैन और शांति की जीवन यात्रा कर सकें।”
– 1 तीमुथियुस 2:1-2

आज हमें देश के राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,केंद्रीय गृहमंत्री, सभी राज्यपाल, मुख्यमंत्रियों,मंत्रिमंडल, न्यायपालिका, एवं नौकरशाह,पुलिस, सेना, और समाज के सभी धर्मगुरुओ,सेवकों के लिए प्रार्थना करने की ज़रूरत है — कि वे न्याय, विवेक और दया से कार्य करें।

अंत में मेरा निवेदन है:
देशभक्ति और मसीही विश्वास को अलग न करें। यीशु मसीह का अनुयायी वही है, जो आकाश की राज्य की रीति से धरती पर भी चलता है — अपने राष्ट्र के लिए आशिष का कारण बनता है।

जय मसीह! जय भारत!

आपका सेवक,
नितिन लॉरेंस
सचिव – Diocese of Chhattisgarh
7828133333

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