रायपुर के निजी स्कूलों को झटका, प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों पर लगा बैन

रायपुर: निजी स्कूलों में मनमानी किताबों को लेकर जिला शिक्षा कार्यालय ने एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत जिले के सभी निजी स्कूल अब केवल एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) और एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की किताबों से ही छात्रों को पढ़ा सकेंगे। यानी निजी प्रकाशकों की रंग-बिरंगी और महंगी किताबें अब स्कूलों में नहीं चलेगी।



इस आदेश को लेकर छत्तीसगढ़ मैनेजमेंट स्कूल एसोसिएशन ने आपत्ति दर्ज कराई है। एसोसिएशन का कहना है कि कई ऐसी किताबें हैं जो अशासकीय विद्यालय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए पढ़ाते रहे हैं। दूसरी ओर एससीईआरटी की मुक्त किताबें अभी तक स्कूलों को नहीं मिल पाई हैं। ऐसे में इस आदेश का पालन करना मुश्किल है, क्योंकि निजी स्कूलों के नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत एक अप्रैल को हो गई है। ऐसे में तीन महीने बीतने को है, लेकिन फिर भी मुक्त की किताबें नहीं मिल पाई हैं।
जिला शिक्षा कार्यालय के निजी स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों पर रोक लगाने के आदेश ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इस आदेश पर कड़ी नाराजगी जताई है और जिला शिक्षा कार्यालय को एक पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। एसोसिएशन का कहना है कि यह आदेश हाई कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने पत्र में कहा कि निजी प्रकाशकों की किताबों के उपयोग को लेकर पहले भी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने तब स्कूल शिक्षा विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि यदि छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के सदस्य किसी अन्य किताब का उपयोग करते हैं तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। गुप्ता का कहना है कि कई अशासकीय विद्यालय अपने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए विभिन्न निजी प्रकाशकों की किताबों का उपयोग करते हैं।
जिला शिक्षा कार्यालय ने निजी विद्यालयों के प्राचार्यों, विकासखंड शिक्षा अधिकारियों और नोडल प्राचार्यों के लिए जारी आदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल: इन स्कूलों में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा वितरित की जाने वाली मुफ्त किताबें पढ़ाई जाएंगी।
वहीं, सीबीएसई से संबद्ध स्कूल इन स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही अनिवार्य होगी। किसी भी निजी प्रकाशक की किताबें न तो चलेंगी और न ही अभिभावकों को उन्हें खरीदने के लिए बाध्य किया जाएगा। इसके लिए सभी निजी स्कूलों को अपने नोडल प्राचार्य के सामने यह प्रमाण पत्र देना होगा कि वे इन आदेशों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं।
कई निजी स्कूलों द्वारा अपने संस्था में ही जूता-मोजा, टाई-बेल्ट आदि की बिक्री की जाती है। जारी आदेश के अनुसार इस पर भी बैन लगा दिया गया है। रायपुर जिले में कोई भी निजी स्कूल अपनी संस्था में इन वस्तुओं की बिक्री नहीं कर सकेंगे और ना ही पालकों को बाध्य कर सकेंगे कि वे किसी दुकान विशेष से ही किताबें खरीदें। जिस पर संस्था द्वारा छात्रों को वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाती है उन्हें भी ना हानि ना लाभ के सिद्धांत पर वाहन चालन करने को कहा गया है। जिस बोर्ड से संस्था को मान्यता प्राप्त है उसका बोर्ड भी मुख्य द्वार पर स्कूलों को लगाना होगा।