छत्तीसगढ़

डीएपी संकट से जूझ रहे प्रदेश सहित जिले के किसान: विनोद चंद्राकर

खाद संकट उत्पन्न कर धान के पैदवार को प्रभावित करने साय सरकार रच रही षड़यंत्र

महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि खरीफ सीजन में किसानों को डीएपी की अभूतपूर्व संकट का सामना अभी से करना पड़ रहा है। मानसून केरल आ चुकी है, सप्ताह भर के भीतर छत्तीसगढ़ में मानसून सक्रिय हो जाएगा। बीते कुछ दिनों पूर्व हुई बारिश के बाद जिले के किसान खरीफ की तैयारी के लिए थरहा लगाने खेतों की मताई आदि कर रहे हैं। कई किसान नर्सरी तैयार भी कर चुके हैं। ऐसे में डीएपी की सख्त आवश्यकता है, लेकिन सरकार द्वारा सहकारी समितियों में डीएपी उपलब्ध नहीं करा पाने के कारण किसानों को खुले बाजार में अधिक दामों पर डीएपी खरीदकर अतिरिक्त आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ रहा है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि जिले के विभिन्ना सोसायटियों में डीएपी की कील्लत बनी हुई है। पटेवा, झलप क्षेत्र के विभिन्न समितियों में डीएपी नहीं मिल पा रहा है। डीएपी के स्थान पर 20:20:15 नामक एक अन्य खाद का विकल्प किसानों को सुझाया जा रहा है। किसान इस खाद को लेने में हिचकिचा रहे हैं, लेकिन दबाव डालकर जबरदस्ती उन्हें खाद लेने विवश किया जा रहा है। डीएपी धान के पाैधों के लिए संजीवनी का कार्य करती है। समय पर डीएपी नहीं मिलने से पाैधे विकसित नहीं हो पाते, जिससे धान के पाैधों के विकास पर प्रभाव पड़ता है। सरकार किसानों से धान खरीदी से बचने उन्हें कृत्रिम रूप से खाद संकट पैदा कर धान के पैदावार को कम करना चाह रही है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार किसानों के लिए ट्रबल इंजन साबित हो रही है। किसानों को डीएपी यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। साय सरकार किसानों को सोसाइटी में खाद उपलब्ध नहीं कर पा रही है। बड़े व्यापारियों के यहां पहले ही खाद डंप हो रहा है और किसानों को अतिरिक्त पैसा देकर बाजार में मजबूरी में ज्यादा पैसा से खाद बीज लेना पड़ता है यह सरकार सिर्फ और सिर्फ बड़े उद्योगपतियों की सरकार है। बुवाई के समय किसानों को डीएपी खाद की ज्यादा जरूरत पड़ती है। डीएपी नहीं मिलने से बुवाई प्रभावित हो रहा है। सरकारी समितियां में पंजीकृत किसानों को कृषि भूमि के रकबे के हिसाब से डीएपी, यूरिया फसल के लिए दिया जाता है। लेकिन, पंजीकृत किसानों के हिसाब से प्रशासन ने कोई तैयारी नहीं की। खरीफ सीजन शुरू होने के माह भर पहले ही पर्याप्त खाद-बीज का भंडारण करना होता है। लेकिन, यह सरकार किसानों को पूरी तरह नजर अंदाज करते हुए केवल बड़े उद्योगपतियों के हित में कार्य करने पूरी मशीनरी को लगा रहा है।
प्री मानसूनी बारिश को लेकर खुर्रा वाले किसान प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं, लेकिन प्रदेश में खाद और बीज की समुचित व्यवस्था यह सरकार नहीं कर पाई है। प्रदेश के ज्यादातर सोसाइटी में किसानों को डीएपी की कमी से जूझना पड़ रहा है, ज्यादातर स्थानों पर बोनी और थरहा के लिए बीज भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते किसान परेशान हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार के किसान विरोधी षडयंत्रों के चलते ही छत्तीसगढ़ नकली बीज, नकली दवा, नकली खाद और घटिया नैनो यूरिया को खपाने का अड्डा बन गया है। समितियों में जान-बूझकर खाद संकट की स्थिति लायी जा रही है। जिससे मजबूरी में किसान अतिरिक्त दाम पर बाजार से डीएपी तथा नकली खाद विक्रेताओं के चंगूल में फँस सके।

ADs ADs ADs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button