प्रेस विज्ञप्ति


पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ – अमर चरित्र और मानवता के लिए आदर्श
इस्लाम का संदेश कोई नया धर्म नहीं है। यह उसी समय से विद्यमान है जब इस सृष्टि की रचना हुई। प्रथम मानव और प्रथम पैग़म्बर हज़रत आदम से लेकर नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा (अलैहिमुस्सलाम) तक सभी दूतों ने एक ही शिक्षा दी—एक ईश्वर की उपासना और मानवता की सेवा। पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ उसी परम्परा के अंतिम दूत हैं, जिन्होंने इस सत्य को पुनः स्थापित किया और पूर्णता प्रदान की।
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ का जीवनचरित्र विश्व-इतिहास में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला जीवन है। आज तक जितनी भी पुस्तकें लिखी गई हैं, किसी भी चरित्र की लोकप्रियता और अध्ययन का काल सामान्यतः 40–50 वर्षों से अधिक नहीं होता। परन्तु मुहम्मद ﷺ का जीवन एक ऐसा आदर्श है, जो न केवल अपने समय में, बल्कि पिछले चौदह सौ वर्षों से निरन्तर पढ़ा, समझा और अपनाया जा रहा है।
उनकी सैरत (जीवनी) पर असंख्य भाषाओं में ग्रन्थ लिखे गए हैं। संसार की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में उनके जीवन पर साहित्य उपलब्ध है। प्रसिद्ध पुस्तक “द हंड्रेड” में, विश्व के सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्वों की सूची में प्रथम स्थान पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ को दिया गया है। यह तथ्य स्पष्ट करता है कि उनका जीवन केवल किसी धर्म या जाति तक सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए आदर्श है।
मुहम्मद ﷺ का चरित्र – सत्य, दया, क्षमा, समानता और न्याय का अद्वितीय संगम है। उनकी शिक्षा यह है कि श्रेष्ठता का आधार न जाति है, न वर्ण, न सम्पत्ति, अपितु केवल धर्मनिष्ठ आचरण और उत्तम चरित्र है।
आज भी उनकी जीवनी उसी श्रद्धा, उसी प्रेम और उसी आदर से पढ़ी जाती है, और आने वाले युगों में भी पढ़ी जाती रहेगी। क्योंकि उनका जीवनचरित्र कालातीत है और मानवता के लिए प्रकाशपुंज
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ – समस्त मानवता के लिए करुणामूर्ति
ईश्वर ने अपने अंतिम दूत, पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ को समस्त संसार के लिए दया और करुणा का स्रोत बनाकर भेजा। क़ुरआन में कहा गया है:
“और हमने तुम्हें केवल जगतों के लिए दया स्वरूप भेजा है।” (सूरा अंबिया: 107)
पैग़म्बर ﷺ का सम्पूर्ण जीवन न्याय, दया, समानता और मानव-सेवा का आदर्श है। उनका जीवनचरित्र आज भी मानवता के लिए पथ-प्रदर्शक है।
न्याय और समता
पैग़म्बर ﷺ ने सदैव न्याय को सर्वोपरि रखा। एक प्रसंग में एक यहूदी व्यक्ति मुक़दमे में विजयी हुआ क्योंकि सत्य उसी के पक्ष में था, जबकि विरोधी एक मुसलमान था। उन्होंने घोषणा की:
“यदि मेरी पुत्री फ़ातिमा भी चोरी करे तो मैं उसका हाथ काट दूँगा।” (बुख़ारी)
यह शिक्षा देती है कि न्याय के सामने रिश्ते, जाति या धर्म का कोई मूल्य नहीं।
दया और क्षमा
जब ताइफ़ नगर के लोगों ने पैग़म्बर ﷺ को पत्थरों से घायल कर दिया, तो स्वर्गदूत ने उन्हें दण्ड देने की अनुमति माँगी। लेकिन उन्होंने उत्तर दिया:
“मैं उनके लिए प्रार्थना करता हूँ कि उनकी संतति से सदाचारी लोग उत्पन्न हों।”
इस घटना से स्पष्ट होता है कि पैग़म्बर ﷺ दया और क्षमा के प्रतीक थे।
समानता और भाईचारा
हज के अंतिम उपदेश में पैग़म्बर ﷺ ने मानव समानता की घोषणा की:
“किसी अरब को अजमी पर, किसी गोर वर्ण को श्याम वर्ण पर कोई श्रेष्ठता नहीं, केवल धर्मनिष्ठा ही श्रेष्ठता का आधार है।”
यह संदेश विश्व-मानवता के लिए भाईचारे और समानता का शाश्वत सिद्धान्त है।
मानव-सेवा
पैग़म्बर ﷺ ने सदैव अनाथ, विधवा और निर्धन की सहायता पर बल दिया। उन्होंने कहा:
“सबसे उत्तम मनुष्य वह है जो दूसरों को लाभ पहुँचाए।” (मुस्नद अहमद)
उनकी दृष्टि में मानव-सेवा ही सर्वोच्च पुण्य है।
पड़ोसी का अधिकार
पैग़म्बर ﷺ ने पड़ोसी के अधिकार को आस्था का हिस्सा बताया।
उन्होंने कहा:
“जिब्रील मुझे निरन्तर पड़ोसी के अधिकार की शिक्षा देते रहे, यहाँ तक कि मैंने सोचा वे पड़ोसी को वारिस बना देंगे।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
“वह व्यक्ति सच्चा विश्वासी नहीं जो स्वयं तो तृप्त हो और उसका पड़ोसी भूखा रहे।” (मुस्नद अहमद)
“ईश्वर की शपथ, वह विश्वासी नहीं… जिसका पड़ोसी उसकी हानि से सुरक्षित न हो।” (बुख़ारी)
नारी की गरिमा और मर्यादा
पैग़म्बर ﷺ ने नारी को ईश्वर की अमानत बताया।
अंतिम उपदेश में उन्होंने कहा:
“हे लोगो! स्त्रियों के विषय में ईश्वर से डरते रहो, क्योंकि तुमने उन्हें ईश्वर की अमानत स्वरूप ग्रहण किया है।” (मुस्लिम)
उन्होंने यह भी कहा:
“तुममें सबसे श्रेष्ठ वही है जो अपने परिवार के साथ श्रेष्ठ आचरण रखे, और मैं अपने परिवार के साथ सबसे श्रेष्ठ हूँ।” (तिर्मिज़ी)
अन्याय और अत्याचार
पैग़म्बर ﷺ ने अत्याचार को सबसे बड़ा पाप बताया।
“अत्याचार से बचो, क्योंकि अन्याय प्रलय के दिन अंधकार बनेगा।” (मुस्लिम)
“अत्याचारित की प्रार्थना से बचो, क्योंकि उसके और ईश्वर के बीच कोई परदा नहीं।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
उन्होंने घोषणा की:
“हे लोगो! तुम्हारा रक्त, तुम्हारा जीवन और तुम्हारी मर्यादा – सब एक-दूसरे पर उसी प्रकार पवित्र है जैसे यह दिन, यह महीना और यह नगर पवित्र है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ का सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा, समानता, न्याय और दया पर आधारित था। पड़ोसी के अधिकार की रक्षा, नारी की मर्यादा का सम्मान और अत्याचार का विरोध – यही उनके संदेश के मुख्य आधार हैं।
आज आवश्यकता है कि हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें। क्योंकि वे वास्तव में समस्त मानवता के लिए करुणामूर्तिहैं।
Nuzhat Suhail pasha
Media incharge
Women’s wing chhatisgarh
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