Samantha Ruth Prabhu ने अपनी संघर्ष के दिनों को किया याद, बोलीं- अंधेरों से निकली रौशनी…

मुंबई: सामंथा रुथ प्रभु की जिंदगी की वह कहानी, जो हाल ही में उन्होंने शेयर की, एक अदाकारा की नहीं, बल्कि एक आम इंसान की असामान्य हिम्मत की कहानी है। ग्लैमर की दुनिया से इतर, जब वे अपने भीतरी तूफानों से लड़ रही थीं, तब उनके भीतर उठते बुरे ख्याल किसी भी इंसान को पूरी तरह तोड़ देने के लिए काफी थे। मगर सामंथा ने हार नहीं मानी।




सामंथा ने स्वीकार किया कि एक साल उनके जीवन का सबसे कठिन था कि एक ऐसा साल जहां कुछ भी काम नहीं कर रहा था, कोई जवाब नहीं मिल रहा था, और जहां वे खुद को समाप्त मान चुकी थीं। लेकिन यहीं से उनकी असली यात्रा शुरू होती है। यह वह मोड़ था जहाँ उन्होंने खुद से कहा कि मुझे इससे बाहर निकलना होगा।
सामंथा ने महसूस किया कि अगर जीवन के सबसे बुरे ख्यालों पर अमल करने के लिए साहस चाहिए, तो शायद उससे कहीं बड़ा साहस है कि उन ख्यालों को ठुकराकर जीने का रास्ता तलाशना। सामंथा की यह स्वीकारोक्ति आधुनिक समाज के लिए एक आवश्यक संदेश है। जब एक सेलिब्रिटी यह कहती है कि उसे सबसे बुरे ख्याल आते थे, तो वह हजारों उन चेहरों की आवाज बन जाती है जो ऐसे ही अंधेरों से गुजर रहे हैं लेकिन बोल नहीं पाते। मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना, उस दर्द को नकारने के बजाय अपनाना, और फिर उस दर्द को ताकत में बदलना, यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
सामंथा के शब्द, मुझे मेरी सफलता ने नहीं, मेरी असफलताओं ने सिखाया है, जीवन का वह शाश्वत सत्य है जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। सामंथा की कहानी बताती है कि दुख सिर्फ चोट नहीं देते, वे हमें तराशते भी हैं। आज जब सामंथा अपने प्रोडक्शन हाउस की पहली फिल्म ‘सुभम’ के साथ एक नई रचनात्मक यात्रा पर हैं, तो यह सिर्फ एक करियर की प्रगति नहीं, बल्कि आत्मविश्वास की पुनर्प्राप्ति की कहानी है।