छत्तीसगढ़

भिलाई में EOW-ACB अधिकारियों की कार्रवाई के दौरान सुरक्षा हेतु मौजूद स्थानीय पुलिस बल।

शराब घोटाले की जांच में EOW-ACB का बड़ा वार, 30 ठिकानों पर एकसाथ छापे

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– पूर्व मंत्री कवासी लखमा से संबंधों को लेकर भिलाई के फेब्रिकेशन उद्योगपति से सघन पूछताछ

  • भिलाई, दुर्ग, महासमुंद और धमतरी के 25 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई, अहम दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त
  • व्यापारी, डॉक्टर, होटल व्यवसायी और बिल्डर्स आए जांच एजेंसी के रडार पर

रायपुर/दुर्ग/महासमुंद/धमतरी, छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में बड़ा कदम उठाते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण एवं भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (EOW-ACB) ने मंगलवार को प्रदेश के चार जिलों में एकसाथ 30 स्थानों पर दबिश दी। यह छापेमारी उन लोगों को निशाने पर लेकर की गई, जिन पर घोटाले की अवैध राशि को संपत्ति और व्यवसायों में खपाने का संदेह है।

यह कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा आबकारी विभाग के 21 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिलने के कुछ ही दिनों बाद सामने आई है। इन अधिकारियों पर राजस्व में हेराफेरी और संस्थागत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप है।

मंगलवार की तड़के करीब 5 बजे EOW-ACB की आठ टीमें भिलाई पहुंचीं और पूर्व मंत्री कवासी लखमा से कथित रूप से जुड़े फेब्रिकेशन उद्योगपति अशोक अग्रवाल के अमरपाली वानांचल सोसायटी स्थित आवास पर छापा मारा गया। इसके बाद उन्हें चावनी चौक स्थित उनके फेब्रिकेशन यूनिट ले जाकर वित्तीय दस्तावेजों की जांच की गई। उनके भाई विनय अग्रवाल के खुरसिपार स्थित घर पर भी समानांतर कार्रवाई हुई।

इसके अलावा होटल व्यवसायी आशीष गुप्ता के नेहरू नगर स्थित निवास, व्यवसायी सुरेश केजरीवाल का बंगला (नेहरू नगर वेस्ट), स्पर्श हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. संजय गोयल का निजी निवास, उद्यमी मनीत जैन, बिल्डर विश्वास गुप्ता का दुर्ग स्थित ठिकाना और सामाजिक नेता बंसी अग्रवाल का नेहरू नगर ईस्ट स्थित घर भी इस जांच के दायरे में आए। विठलपुरम स्थित गोविंद मंडल का बंद बंगला और सेक्टर-2 स्थित मिथिलेश उर्फ पिंटू तिवारी (जो वर्तमान में रायपुर में रहते हैं) के घर भी जांच की गई।

श्री निकेतनम सहित कई हाई-प्रोफाइल ठिकानों पर भी छापेमारी की गई, जहां से प्रवर्तन एजेंसी को कई अहम दस्तावेज, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन और वित्तीय डायरी मिली हैं। ये सभी डिजिटल साक्ष्य अब फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ये छापे डिजिटल साक्ष्यों और पूर्व में गिरफ्तार आबकारी अधिकारियों के सहयोगियों से मिली जानकारियों के आधार पर किए गए हैं।”

सूत्रों के अनुसार, व्यापारी वर्ग द्वारा शेल कंपनियों, बेनामी संपत्तियों और नकद लेन-देन के माध्यम से घोटाले की राशि को सफेद करने का प्रयास किया गया था। एजेंसी की नजर अब इन व्यापारियों की भूमिका और उनके माध्यम से राजनैतिक और नौकरशाही लाभार्थियों पर केंद्रित है।

गौरतलब है कि शराब घोटाले में पहले ही कई आबकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन मंगलवार की यह कार्रवाई उन नेटवर्क्स को उजागर करने की दिशा में अहम मानी जा रही है, जो आर्थिक हेराफेरी के संचालन में सहायक रहे हैं।

आगामी दिनों में डिजिटल ट्रेल, अचल संपत्तियों का मूल्यांकन और आरोपियों से पूछताछ के ज़रिए एजेंसी अपने अभियोजन तंत्र को और मजबूत करने की दिशा में काम करेगी।

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