छत्तीसगढ़ की अविलोकिता केशरवानी ने NLSAT में प्राप्त की ऑल इंडिया रैंक 2, NLU बेंगलुरु में मिलेगा दाख़िला




रायपुर, 27 मई — छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की अविलोकिता केशरवानी ने देश के प्रतिष्ठित नेशनल लॉ स्कूल एडमिशन टेस्ट (NLSAT) में ऑल इंडिया रैंक 2 हासिल कर न केवल अपने परिवार का, बल्कि पूरे राज्य का नाम रोशन किया है। इस परीक्षा के माध्यम से देशभर के चुनिंदा विद्यार्थी नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु (NLU Bangalore) में प्रवेश पाते हैं, जिसे भारत के सर्वोच्च विधि शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है।
अवलोकिता के माता-पिता — डॉ. विवेक केशरवानी एवं डॉ. नंदिता केशरवानी रायपुर स्थित सयुश हॉस्पिटल में कार्यरत हैं और चिकित्सा क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर उन्होंने संतोष और आभार व्यक्त किया तथा कहा कि यह सफलता उसके अनुशासन, मेहनत और संतुलित दृष्टिकोण का परिणाम है।
निरंतर प्रयास और आत्मविश्वास ही कुंजी है — अविलोकिता
बातचीत में अविलोकिता ने कहा,
“यह सफलता किसी एक दिन की मेहनत नहीं, बल्कि वर्षों की तैयारी, धैर्य और आत्मविश्वास का फल है। मैंने कभी केवल रैंक को लक्ष्य नहीं बनाया, बल्कि विषय को समझने और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश की। परिवार और शिक्षकों का मार्गदर्शन हमेशा साथ रहा।”
वह बताती हैं कि पढ़ाई के साथ मानसिक संतुलन बनाए रखना भी बहुत आवश्यक होता है, और इसके लिए उन्होंने नियमित व्यायाम, किताबें पढ़ना और शांत समय बिताना अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाया।
सरलता और आत्मसंयम बनीं पहचान
अविलोकिता की मित्रों और शिक्षकों का कहना है कि वे हमेशा से शांत, विनम्र और केंद्रित रहीं हैं। उन्होंने कभी अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि दूसरों को प्रेरित करना ही उनका स्वभाव रहा है।
उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि छोटे शहरों और सीमित संसाधनों से भी यदि लगन हो, तो राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में शिखर तक पहुँचना संभव है।
बधाइयों का तांता
उनकी इस सफलता की जानकारी मिलते ही रायपुर समेत प्रदेशभर से शुभकामनाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर लोग उनके संयमित स्वभाव और इस ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए यह खबर निश्चित ही प्रेरणास्रोत बनेगी — कि मेहनत, निष्ठा और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी ऊँचाई हासिल की जा सकती है।
अविलोकिता केश, अब NLU बेंगलुरु में अपने विधिक शिक्षा की नई शुरुआत करेंगी, और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में वह न्याय और संवैधानिक मूल्यों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देंगी।
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