छत्तीसगढ़

26 जून 1975 को देश बचाने के लिए संविधान के तहत ‘‘आपातकाल’’ की घोषणा

तपन चक्रवर्ती, वरिष्ठ पत्रकार,
तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के मृत्यु के उपरांत इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी। इंदिरा गांधी शांत स्वभाव की गंभीर विदूषी महिला थी। फलस्वरूप देश के राजनैतिक दलो के बीच ‘‘गूंगी-गुड़िया’’ के नाम से जानी जाती रही। धीरे-धीरे गूंगी-गुड़िया राजनैतिक उलझानों को समझने और सचेत रहने लगी। इंदिरा जी की नीजि सलाहकार के रूप मे बचपन की सहेली एवं सबसे विश्वास पात्र पुपूल जयकर रही। पुपूल जयकर नेहरू-गांधी के जीवनी लेखिका के अलावा सांस्कृतिक सलाहकार भी रही। इंदिरा-गांधी के राजनैतिक प्रतिद्वेंदी मोरार जी देसाई की प्रधानमंत्री पद की लालसा के कारण पार्टी में दिनो-दिन असंतोष बढ़ती गई। और इंदिरा-गांधी को पार्टी से निष्कासित कर दिये गये। अततः 12 नवम्बर 1969 को इंदिरा जी ने ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’’ के नाम से राजनैतिक पार्टी का स्थापना किये। जिसका चुनाव चिन्ह गाय-बछड़ा रहा। इसी दौरान इंदिरा जी ने देश के बैंको का राष्ट्रीयकरण करके सभी विपक्षी दलो को अचंभित कर दिया। जिसके फलस्वरूप गरीब वर्ग एवं मध्यम वर्गीय जनता का पैसा सुरक्षित रहने का गारंटी रहा। पड़ोसी मूल्क पाकिस्तान के अधीन पूर्व बंगाल अपने बंग्ला भाषा की अस्तित्व के लिए लगातार संघर्षरत रही। पूर्वी बंगाल में उर्दू भाषा को मातृभाषा के नाम से पूर्वी बंगाल में जबरन थोपा गया था। जिसका विरोध बंगला भाषी जनता द्वारा ‘‘अवामी-लीग’’ राजनैतिक मंच के नेता मुजिबुर्रहमान के नेतृत्व में संघर्ष चरम सीमा पर पहुंुच गई थी।
प्रधानमंत्री इंदिरा-गांधी ने ‘‘अवामी-लीग’’ की संघर्ष में भरपूर सहयोग देकर ‘‘बंग्लादेश’’ की स्थापना कर पूरे विश्व को भारत देश की ताकत से परिचय करा दिये। 1971 में भारत-पाक की युद्ध में भारत देश विजेता बनने से इंदिरा-गांधी की पहचान ‘‘आयरन-महिला’’ के नाम से जाना गया। इंदिरा-गांधी के बढ़ते ख्याती को रोकने के लिए विपक्ष के सभी नेता फिर से एक जुट होकर मजबूत रणनीति के लिए एक मंच पर आ गये। विद्रोह का नेतृत्व मोरार जी देसाई को सौपी गई। देश में अशांति व अराजकता की जाल में जयप्रकाश नारायण के सभा एवं रैलीयों के जरिये फंसता रहा। विपक्षी नेता सुब्रम्णियम स्वामी द्वारा देश में गिरते अर्थव्यवस्था और मूल्य-वृद्धि पर देश की जनता में जागरूकता फैलाई। और इसके अतिरिक्त रेलवे-मजदूर यूनियन के नेता जार्ज फड़र्नाडिस द्वारा रेल कर्मचारियों को 33ः बोनस के लिए रेल रोको अभियान चलाया। एवं इसके अलावा सामाजवादी नेता राज नारायण अपने रणनीति के तहत देश में अशांति फैलाने के लिए व्यस्त हो गये।
16 दिसम्बर 1971 में भारत-पाक के युद्ध में पाकिस्तान के दो-टुकड़े और 90,000 हथियार बंद सैनिको के साथ ‘‘युद्ध-बंदी’’ की महान उपलब्धि से इंदिरा-गांधी की वीरता और बुधिमानी से अभिभूत होकर विपक्षी नेता अटल बिहारी बाजपाई ने प्रधानमंत्री इंदिरा-गांधी को भरी संसद में ‘‘दुर्गा’’ नाम से अलंकृत करते हुए संबोधित किये। इसी दौरान इंदिरा गांधी ने 1971-72 को कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण कर दिये। किंतू कुछ विपक्षी नेताओं को एक महिला होकर प्रधानमंत्री के रूप में प्रसिद्धी को सहन नही कर पाये थे। देश के केंद्रीय रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या 3 जनवरी 1975 को समस्तीपुर बिहार के एक रेल-परियोजना की उद्घाटन के वक्त बम से उड़ा दिये गये। इस दुखत घटना से इंदिरा-गांधी अपने राजनैतिक दौरे एवं प्रवास कम कर दिये। परिणामस्वरूप इंदिरा-गांधी के राजनैतिक प्रतिद्धेदीयो ने सरकार पर दबाव बनाना सुरू कर दिये। जिसके तहत मोरार जी देसाई और जयप्रकाश नारायण द्वारा योजना के अनुसार देश भर में अराजकता और अशंाति का वातावरण बनाने में व्यस्त हो गये। 15 फरवरी 1975 को जयप्रकाश नारायण ने राम लीला मैदान दिल्ली में एक रैली में देश की पुलिस और सेना को सरकार के विरूद्ध विद्रोह करने के लिए भड़काये। और-तो और 8 मई 1975 से 27 मई 1975 तक विद्रोही नेता जार्ज फड़र्नाडिस द्वारा रेल आंदोलन के कारण पूरे देश में रेल व्यवस्था ठप्प रहा। इसी दौरान 11 मई 1975 को मोरार जी देसाई द्वारा ‘‘इंदिरा-आवास-घेरो’’ की घोषणा से आंदोलन में तेजी आ गई। इंदिरा-गांधी ने अपने विरोधियों के आंदोलन से विचलित न होकर ‘‘परमाणु-परिक्षण’’ के लिए तैयारी सुरू कर दी। अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन के सख्त मनाही के बावजूद 18 मई 1975 को पोखरण राजस्थान में ‘‘परमाणु-परिक्षण’’ कराने में सफल हुये। जिससे इंदिरा-गांधी की ख्याती में चार-चांद लग गाये।
दूसरी तरफ देश में अराजकता और अशांति पूरे देश में फैल चूकि थी। जिसके फलस्वरूप मंहगाई चरण सीमा पर पहुंच चूकि थी। और रूपयों का मूल्य रसातल में गिर चुका था। जिसका राजनैतिक फायदा अमेरिका के राष्ट्रपति मिक्सन देश के विपक्षी नेताओं के माध्यम से सरकार को अस्थिर करने में जुट गया। इस बीच देश का समाजवादी नेता राज नारायण मिश्र द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1971 के रायबरेली चुनाव को अवैध घोषित का फैसला 12 जून 1975 को आ गया। जिससे पूरा देश इंदिरा-गांधी पर पद से इस्तीफा देने के लिए आंदोलित हो उठा। देश में कानूनी व्यवस्था चरमरा गई थी। देश असामाजिक एवं षड़ंयत्रकारी तत्वो के जाल में फंस चुका था। इसके अलावा देश की एकता और अखण्डता पर प्रहार होना शुरू हो गया था। इन तमाम परेशानियों के चलते 25 जून 1975 के मध्य रात्रि में इंदिरा-गांधी द्वारा अपने निवास स्थल पर अवश्यक बैठक बुलाई गई। इस बैठक में संजय गांधी, सिद्धार्थ शंकर राय, पुपूल जयकर और नीजि सचिव आर.के. धवन के उपस्थिती में 26 जून 1975 को पूरे देश में संविधान के तहत अनुच्छेद 352 के अंतर्गत ‘‘अपातकाल’’ की घोषणा रेडियो के माध्यम से की गई है। 26 जून 1975 के सुबह होने के पहले देश के सभी विपक्षी नेताओ को जेल में बंद कर दिये गये। इसके अलावा प्रेस पर सरकारी अंकुश लगाई गई।
देश में 19 माह तक आपातकाल रहने के बाद 2 मार्च 1977 को इंदिरा-गांधी ने आपातकाल को वापस लेकर तुरंत देश में आम चुनाव की घोषणा की गई। आपातकाल के दौरान देश में मंहगाई, भ्रष्टाचार, घुसखोरी, कालाबजारी, जमाखोरी एवं रेल गाड़ियों का समय पर चलना चालू रहा। आपातकाल के दौरान भूदान आंदोलन के नेता अचार्य विनोबा भावे नेे आपातकाल को ‘‘अनुशासन पर्व’’ कहा। 15 अगस्त 1975 को नागपुर के यरवदा जेल में बंद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख बाला साहेब देवराज ने इंदिरा-गांधी को पत्र लिखकर ‘‘आपातकाल’’ का खुला समर्थन दिया था। शर्म की बात है कि आज उसी मातृ-संस्था के कुंठित एवं स्वयंभू विश्व गुरू द्वारा 26 जून 1975 को लगे आपातकाल की 50 वी बरसी को ‘‘संविधान हत्या’’ दिवस के रूप में पूरे देश में मनाये जाने की घोषणा की गई है। ‘‘हत्या’’ शब्द अपराधित है। और देश की ‘‘संविधान हत्या’’ असंवैधानिक एवं राजनैतिक दिवाला का परिसूचक है। वर्तमान समय मे विश्वगुरू द्वारा असंवैधानिक तरिकों से 11 सालो तक देश का बेडागर्क कर दिये है। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को गिराकर एवं सासंद व विधायको की खरीद-फरोत करके देश में अस्थिरता कायम कर रहे है। जनता मंहगाई बेरोजगारी एवं सड़को पर महिला उत्पीड़न से परेशान है। इसके अलावा विश्वगुरू देश की संपत्तियों को उघोगपति के हवाले करके स्वयं 155 देशो की विदेश यात्रा में मग्न है। देश अमेरिका के दबाव में है। आश्चर्य की बात है कि 50 सालो तक कांग्रेस-पार्टी आपातकाल को लेकर अफसोस एवं अपराधिक भाव से ग्रसित है। अब बहुत हो गया है। देश के सामने खुलकर आपातकाल के बारे में संगोष्ठि करके देश को विदेशी ताकतो एवं विदेशी दलालो से (अमेरिका एवं सी.आई.ए. के एजेंट) मुक्ति दिलाने के लिए आपातकाल संवैधानिक रूप से आपातकाल पूरे देश में लगाया गया था। जिससे आज देश सुरक्षित एवं प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढा़।
सधन्यवाद
दिनांक:- 28.06.2025
भवदीय
तपन कुमार चक्रवर्ती

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