पहलगाम घटना : पाकिस्तानी रक्षामंत्री के बयान के मायने। तपन चक्रवर्ती, वरिष्ठ पत्रकार



कश्मीर के पहलगाम मे 27 पर्यटकों को आंतकवादियों ने गोली से भून दिये 22 अप्रैल 2025 को दोपहर 2.30 के आस पास कश्मीर के पहलगाम के बैसरन-घाटी (जिसे मिनी-स्वीट्जर लैंड) के नाम से जाना जाता है। अचानक गोलीयों की बौछार ने घाटीयों में महिला एवं बच्चों की चीख-पुकार से खुशनुमा माहौल गमनीन हो गया है। पहलगाम में कुछ दिनों से पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही थी। जिससे कश्मीरी के लोगों की मेहमान-नवाजी में कोई अंतर नही पड़ा। पर्यटकों को घर से दूर अपना-घर का एहसास दिलाने में, कश्मीर के आवाम के रगो में सौ-फिसदी मौजूद है। 22 अप्रैल को सामान्य दिनों की तरह पर्यटक पहलगाम के बैसरन घाटी के प्राकृतिक सौदर्यता में अपनो के साथ प्रफूल्लित हो रहे थे तभी कुछ आंतकवादी हाथों में ए.के 47 राईफल्स लिये, टहलते हुए आये और पर्यटकों से नाम और धर्म पूछा। और हिंदू-धर्म के नाम सुनते ही आंतकवादियों ने पर्यटको को उनके पत्नी एवं बच्चों के सामने ही गोलीयों से भून दिये।ं कुछ पर्यटकों को उनके परिवार के सामने कपड़े-उतरवाकर ‘‘हिंदू-धर्म’’ के पुष्टि होने पर गोलियां चलाई। आंतकवादियों के इस ‘‘खून-की होली’’ के बीच एक महिला पर्यटक के हिम्मत दिखाते हुए, आंतकवादियों के बंदूक की नोंक को अपने सीने में रखकर ललकारते हुए कहा कि-अपने पति के साथ मुझे भी गोली मार दो। किंतु आंतकवादी ने इंकार करते हुए कहां-जाओ मोदी को बोल देना हम, तुमको नही मार सकते। आंतकवादियों द्वारा पहलगाम के घाटी में 45 मिनट तक ‘‘खून की होली’’ खेलते रहें। आश्चर्य की बात है। कि वहां सुरक्षा-कर्मी नदारत रहें। ऐसा लगा कि सरकार द्वारा सुरक्षा के सभी उपायों को ‘‘370-धारा’’ घटने के बाद से हटा लिए है। और इस 45 मिनट तक पहलगाम में मौत से बचते पर्यटक गिरते-पड़ते भाग रहे थे, कुछ पर्यटकों के बीवी-बच्चो को कश्मीरी आटो वालो ने अपने आटो से उनकेें होटल तक पहुंचाने लगे और कुछ कश्मीरीयों ने अपनी जान खतरे में डालकर, पर्यटको को अपने पीठ पर लाद कर दौड़ पड़े। दूसरी तरफ आंतकवादी संगठन ‘‘लश्कर-ए तैयबा ने संपूर्ण जिम्मेदारी ली है।
इस भागम-भाग के माहौल में कश्मीरीयों के जिंदा दिली से पर्यटक बहुत प्रभावित भी हुए है। कश्मीरियों ने पर्यटको अपने घर में पनाह भी दिये है। कौन कहता है कि-कश्मीर के आवाम मे ‘‘मजहब की नफरत’’ घुली हुई है। यह सिर्फ लपंट राजनैतिक दलों द्वारा नफरती प्रचार-प्रसार के माध्यम से पूरे कश्मीर को मानवता से दूर रखने का प्रयास किये है। पहलगाम में आंतकवादी गिनती के मात्र 4 या 5 रहे, जो घूम-घूम कर पर्यटकों के अलावा कश्मीररियों को भी धमकाते रहे।
इस घटना के विरोध में समुचा कश्मीर 23 अप्रैल को बंद रहा। किंतू कश्मीर के लाल चौक में सरकार का पालतू-महिला पत्रकार का स्थानीय नागरिकों द्वारा तीव्र-विरोध करते हुए नारे-बाजी के साथ भगा दिये गये है। स्थानीय लोगो का कहना है कि- यह महिला-पत्रकार यहां से रिकार्डिग करके, दिन-भर अपने चैनल पर मजहबी टिप्पणी करेंगी। देश का प्रधानमंत्री इस दुखद खबर मिलते ही सउदी-अरब का दौरा रद्द कर दूसरे दिन प्रातः स्वदेश लौटे और तत्काल ‘‘हाई-लेवल- मीटिंग’’ करके घटना की पूरी जानकारी भी लिये। किंतू प्रधानमंत्री स्वयं पहलगाम न जाकर रक्षामंत्री को घटना स्थल में जानकारी लेने भेजा गया। दूसरी तरफ प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा अपने दिल्ली मुख्यालय में समस्त सदस्यों के साथ शोक सभा आयोजित करे 27 पर्यटकों श्रद्धा-सुमन अर्पित किये। पूरा देश आंतकवादियों केे कायराना हरकत की तीव्र निंदा करते हुए, सबक सिखाने के लिए सरकार पर दबाव बनाये हुऐ है। जिसके परिणाम स्वरूप प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान-भारत के समस्त व्यवसायिक संबंध विच्छेद कर दियें। जिसके अंतर्गत सिंधू नदी जल समझौता, अटारी एवं बाबा बार्डर को सील किया गया है। इसके अलावा पाकिस्तानी-वीजा पर रोक, भारत में पाकिस्तानी पर्यटकों को 48 घंटे के अंदर स्वदेश लौटने का आदेश भी किये गये है। दूसरी तरफ प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष द्वारा सर्वदलीय-प्रतिनिधियों को बैठक आहूत करने केे लिए प्रधानमंत्री से बोला गया। कांग्रेस अध्यक्ष की मांग पर सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, किंतू सर्वदलीय बैठक में देश का प्रधानमंत्री स्वयं अनुपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता रक्षामंत्री ने किया, क्योकि प्रधानमंत्री का बिहार दौरे पर रहने के कारण उपस्थित नही हो पाये। समूचा विपक्ष पहलगाम में घटित-घटना के पीछे ‘‘सुरक्षा में चूक’’ की जिम्मेदारी लेने के लिए सरकार पर लगातार दवाब बनाये रखे। अंततः सरकार ने ‘‘पहलगाम’’ के घटना पर संवेदना व्यक्त करते हुए पहलगाम में ‘‘सुरक्षा की चूक’’ हुई है, इसे सरकार ने मानी। किंतू देश का प्रधानमंत्री इस दुखद घटना पर पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने पहलगाम भी नही गये और न ही सर्वदलीय बैठक में उपस्थित हुए। वरन् बिहार के ‘‘चुनावी सभा मधुबनी’’ के मंच पर मुख्यमंत्री के साथ हंसी-ठिठोली करते नजर आयें। प्रधानमंत्री द्वारा चुनावी सभा में नाटकीय-अंदाज में आंतकवादीयों को ललकारें। देश की जनता सब देश रही है, अपना निर्णय बाद में जरूर देगी। प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान से हुए व्यवसायिक अनूबंधो पर प्रतिबंध लगने से दोनो देश को आर्थिक नुकसान जरूर होगा। और तो और विदेश-नीति के तहत निंदा से बचना चाहिये। इसके अलावा देश का प्रधानमंत्री, हमेशा जिम्मेदारी से भगते रहते है। वे सिर्फ चुनाव को प्राथमिकता देने से जनता की पीड़ा को नही समझ रहे है। जनता के मन में क्या है? यह समय ही बता पायेगा। 11 वर्षो से प्रधानमंत्री जनता की मुद्दो से बहुत दूर हो चुके है। पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों के नाम पर 2019 का आम-चुनाव और अभी पहलगाम की घटना को ‘‘बिहार-जीतो’’ का अभियान जनता समझ चुकी है। अभी वक्फ-बोर्ड के संशोधित नियम 2025 की अगली सुनवाई 05 मई 2025 के पश्चात देश का भविष्य तय हो जायेगा। दूसरी तरफ अचभित कर देने वाला सामाचार के मुताबिक पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा अंर्तराष्ट्रीय दबाव के चलते अंग्रेजी मीडिया के सामनेे पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने आंतकवादी संगठनों को विगत 30 वर्षो से पाकिस्तान में पनाह देने एवं फंडिंग करने की बात स्वीकारी है। इसके अलावा अमेरिका के दबाव में यह काले कारनामें को हमसे करवाया गया है, जिससे हमारा मुल्क पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ा है।( ये लेखक के निजी विचार हैं)