इंद्रियों पर नियंत्रण, वासनाओ से मुक्ति ही ब्रम्हचर्य धर्म है: भाई सुरेश मोदी


रायपुर। दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के चल रहे दसलक्षण धर्म ( पर्युषण पर्व )के अंतिम दीन ” उत्तम ब्रम्हचर्य ” धर्म की आराधना की गई,1008 श्री मुनिसुव्रत नाथ भगवान को पांडुक शिला पर वीराजित कर अभिषेक एवं संदीप जैन ऋतु, काव्या जैन परिवार,,, एन एल जैन, कल्पना, सुशील, सुमन,रेयॉन् परिवार,,,सुरेश, कल्पना, सुमित, अभिषेक काला परिवार एवं रीया, शशि, नरेंद्र पालीवाल परिवार द्वारा शांति धारा की गई। 1008 श्री वासुपूज्य भगवान के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। उपरोक्त जानकारी मंदिर के अध्यक्ष हिमांशु जैन ने दी , श्री जैन ने आगे बताया कि साम को आरती के पश्चात 8 बजे से बड़ा प्रतिक्रमण भाई सुरेश मोदी के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ।रविवार को प्रातः 9.30 बजे त्यागी व्रतियों के सम्मान के पश्चात व्रतियों का पारणा होगा।उत्तम ब्रम्हचर्य व्रत को विस्तार से बताते हुए सुरेश भाई मोदी ने बताया कि आज दशलक्षण पर्व के अंतिम दिवस पर उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा की गई ब्रह्मचर्य का अर्थ क्या होता है ब्रह्मा का अर्थ होता है आत्मा अर्थात उसमें आचरण करना आत्मा में रमण करना इंद्रियों पर नियंत्रण रखना और वासनाओं से मुक्ति प्राप्त कर शुद्ध एवं संयमित जीवन जीना यही ब्रह्मचर्य है इसके अतिरिक्त 0 मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी शुद्धता एवं पवित्रता को महत्व दिया जाता है इस धर्म का पालन करने से व्यक्ति आत्म नियंत्रण इच्छा शक्ति और ज्ञान के विकास की ओर निरंतर बढ़ता जाता है जिससे कि अंत में अपनी आत्मा को मोक्ष के मार्ग की ओर ले जाता है और मोक्ष मार्ग खुल जाता है हम सभी उत्तम क्षमा धर्म से लेकर उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म तक सभी दश धर्म का पालन करते हुए अपना यह मानव जीवन सफल करना चाहिए ताकि आने वाले भव में इस जन्म मरण के दुख से मुक्त होकर हम सभी उसे परम पद को प्राप्त करें

