छत्तीसगढ़

रायपुर पश्चिम में 289 लाख रुपये के विकास कार्यों का भूमि पूजन सम्पन्न, मूणत बोले_ भाजपा की ट्रिपल इंजन सरकार ला रही विकास में गति

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बदला जाएगा करबला तालाब का नाम? हिंदू संत स्वामी आत्मानंद के नाम से जाना जाएगा ऐतिहासिक करबला तालाब

करबला तालाब का नाम स्वामी आत्मानंद करने की मांग, मूणत बोले – शहर के बीच स्थित तालाब को मरीन ड्राइव की तरह विकसित किया जाएगा


रायपुर। नगर पालिक निगम रायपुर के जोन क्रमांक 07 अंतर्गत वार्ड क्रमांक 38 स्वामी आत्मानंद में आज संध्या 4 बजे 289 लाख रुपये के विभिन्न विकास कार्यों का भव्य भूमि पूजन कार्यक्रम उत्सवपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर स्थानीय नागरिकों की बड़ी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में प्रमुख मुद्दा रहा करबला तालाब का नाम स्वामी आत्मानंद के नाम पर करने की मांग, जिसे आमजन व जनप्रतिनिधियों का समर्थन मिला।

मुख्य अतिथि रायपुर पश्चिम के विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री राजेश मूणत ने कहा कि “क्षेत्र के नागरिक चाहते हैं कि करबला तालाब का नाम स्वामी आत्मानंद किया जाए। कार्यक्रम में उपस्थित महापौर एवं नगर निगम के सभापति एवं सदस्यों से अनुरोध किया गया कि करबला तालाब का नाम स्वामी आत्मानंद किया जाए। यह तालाब शहर के बीच स्थित है और इसे मरीन ड्राइव जैसा विकसित किया जाएगा। तालाब में सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया जाएगा, शानदार पाथवे का निर्माण किया जाएगा जिससे आसपास के नागरिकों को मॉर्निंग और इवनिंग वॉक करने का लाभ मिलेगा। बच्चों के लिए प्लेग्राउंड, योग भवन और ओपन जिम का निर्माण किया जाएगा, जिससे लोगों को स्वास्थ्य का लाभ मिल सके।”

उन्होंने आगे कहा कि “क्षेत्र की जनता को सुविधा देने के लिए अगर कोई कड़ा फैसला लेना पड़े तो वो भी लेंगे। तालाब के किनारे का आधा कब्जा मुक्त हो गया है और अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जो कुछ कब्जा बचा है, उसे बुलडोजर चलाकर मुक्त किया जाए।”

राजेश मूणत ने यह भी कहा कि “क्षेत्र की जनता द्वारा जीई रोड स्थित राजकुमार कॉलेज के सामने शराब दुकान को हटाने की मांग की गई थी, जो अब पूरी हो गई है। इस जगह से शराब की दुकान हटा दी गई है, इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी का आभार व्यक्त करता हूं।”

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर निगम रायपुर की महापौर श्रीमती मीनल छगन चौबे ने की। उन्होंने कहा कि “नगर निगम रायपुर शिक्षा, स्वच्छता, अधोसंरचना और नागरिक सुविधाओं में सुधार हेतु निरंतर कार्य कर रहा है। पार्षदों, निगम अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से रायपुर शहर लगातार विकास की ओर अग्रसर है।”

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित नगर निगम रायपुर के सभापति श्री सूर्यकांत राठौर ने कहा कि “नगर निगम रायपुर ने प्रत्येक वार्ड में विकास कार्यों की योजना बनाकर धरातल पर उतारने की दिशा में ठोस पहल की है। आने वाले समय में जनता को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने का लक्ष्य है।”

इस मौके पर लोक कार्य विभाग अध्यक्ष श्री दीपक जायसवाल, जोन-07 की अध्यक्ष श्रीमती श्वेता विश्वकर्मा, वार्ड-38 के पार्षद श्री आनंद अग्रवाल एवं निगम आयुक्त श्री विश्वदीप (IAS) उपस्थित रहे। आयुक्त ने जानकारी दी कि इन कार्यों पर कुल 289 लाख रुपये की लागत से मायाराम सुरजन शाला में अधोसंरचना विकास एवं करबला तालाब क्षेत्र में भवन निर्माण कार्य शामिल हैं।

इस भव्य आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, निगम अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

उपस्थित प्रमुख जनप्रतिनिधि एवं नागरिक – प्रफुल विश्वकर्मा, सत्यम दुवा, ओंकार बैस, अशोक पाण्डेय, गोवर्धन खंडेलवाल, बजरंग खंडेलवाल, गोपी साहू, पूर्व मंडल अध्यक्ष भूपेंद्र ठाकुर, प्रीतम सिंह ठाकुर,अंबर अग्रवाल बी श्रीनिवास राव, अनिल सोनकर, वर्तमान मंडल अध्यक्ष विनय जैन, चैतन्य टावरी, विशेष शाह, गुड्डा तिवारी, पार्षद गज्जू साहू, परमिला साहू, रामहिन कुर्रे, राजेश देवांगन, सोहन लाल साहू, भोला साहू, अमन ठाकुर, राधिका साहू, श्वेता विश्वकर्मा, आनंद अग्रवाल, दीपक जायसवाल, कृष्णा भारती, विशाल पाण्डेय, गायत्री सुनील चंद्राकर, आशु चंद्रवंशी, अर्जुन यादव, सुमन अशोक पाण्डेय, मीना ठाकुर, महेंद्र औसर खेमलाल सेन अखिलेश कश्यप सनत बेस पवन केसरवानी आशीष अग्रवाल ।

सभी ने इस पहल का स्वागत करते हुए भाजपा की ट्रिपल इंजन सरकार, विधायक श्री राजेश मूणत, महापौर श्रीमती मीनल छगन चौबे, सभापति श्री सूर्यकांत राठौर एवं समस्त पार्षदों की सकारात्मक भूमिका की सराहना की।


स्वामी आत्मानंद कौन थे?

स्वामी आत्मानन्द (6 अक्टूबर 1929 – 27 अगस्त 1989) रामकृष्ण मिशन के एक महान संत, समाजसुधारक एवं शिक्षाविद थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ के वनवासी क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगाई। नारायणपुर आश्रम में उच्च स्तरीय शिक्षा केंद्र की स्थापना कर उन्होंने वनवासियों के जीवन को नई दिशा दी।

वे रायपुर स्थित विवेकानन्द आश्रम के पहले सचिव रहे, जिसकी स्थापना उनके अथक प्रयासों से 1962 में हुई थी। स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने अपना जीवन निर्धनों, वंचितों और वनवासियों की सेवा में समर्पित कर दिया।

उन्होंने अबुझमाड़ प्रकल्प की स्थापना कर आदिवासियों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने हेतु पहल की। उनका जीवन संयम, सेवा, समर्पण और सद्भावना की मिसाल था।

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