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तुम लड़कियां क्या कर सकती हो…जब भारतीय टीम को मिले दिल तोड़ देने वाले ताने, पूर्व क्रिकेटर का खुलासा

नई दिल्ली. सोमवार 3 नवंबर की सुबह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इतिहास की सबसे सुनहरी और सबसे खुशनुमा सुबह थी। टीम इंडिया ने 2 नवंबर की रात को वुमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 की ट्रॉफी उठाई थी। भारत ने साउथ अफ्रीका को खिताबी मैच में हराया था। इस एक जीत से भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने सालों का संदेह, ताने और गालियो को समाप्त कर दिया। टीम की कुछ पूर्व खिलाड़ी जैसे झूलन गोस्वामी, मिताली राज और अंजुम चोपड़ा – जिनके दिल में 2005 और 2017 के फाइनल की निराशा अभी भी ताजा थी – उन्होंने भी इस पल को संजोया। भारत की पूर्व बल्लेबाज पूनम राउत ने 2017 विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ हार के बाद उन्हें और उनकी साथियों को झेलनी पड़ी टिप्पणियों को याद किया।

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पूनम राउत ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बातचीत में उन तानों को याद किया जो उन्हें और उनकी टीम की साथी खिलाड़ियों को 8 साल पहले झेलने पड़े थे। राउत ने कहा, “तुमने क्या कर लिया? कभी कुछ जीता है? तुम लड़कियां क्या कर सकती हो? लड़कियां क्रिकेट खेल सकती हैं क्या?” ऐसे में कहा जा सकता है कि 2025 की जीत सिर्फ हमरनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिग्स, दीप्ति शर्मा और शेफाली वर्मा की नहीं है, बल्कि उन महिला खिलाड़ियों को भी है, जो भारत के लिए पहले खेल चुकी हैं।

पूनम राउत ने आगे कहा, “मैं बहुत खुश और भावुक हूं। मैं अपने आंसुओं को रोक नहीं पाई। इस टीम को बहुत-बहुत बधाई। हमने यह साबित कर दिया है – जवाब मिल गया है। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तो मुझे बहुत परेशान किया जाता था। लड़के मुझे तंग करते थे। मैंने उनसे कहा कि मुझे क्रिकेट खेलना आता है, लेकिन उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया। उन्होंने कहा कि लड़कियां क्रिकेट नहीं खेल सकतीं। मुझे उनकी बात पसंद नहीं आई। मैं छोटी थी, मुझे गुस्सा आया, लेकिन मैं उस समय उसे व्यक्त नहीं कर पाई। जब उन्होंने ऐसा कहा, तो मुझे बहुत धक्का लगा।”

भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हुए कहा कि क्रिकेट सिर्फ ‘जेंटलमैन गेम’ नहीं, बल्कि सबका खेल है। राउत भी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा, “वे ऐसा कैसे कह सकते हैं? मैं हमेशा खुद से यही पूछती थी। उसके बाद, हमने तय किया – एक दिन पूरी दुनिया जान जाएगी कि लड़कियां भी क्रिकेट खेल सकती हैं और कहीं न कहीं, हरमनप्रीत कौर को भी यही अनुभव हुआ होगा। मुझे याद है कि हम दोनों ने 2009 में एक ही विश्व कप में डेब्यू किया था। हमारा सफर एक जैसा था, हमारी उम्र एक जैसी थी। मुझे यकीन है कि हरमनप्रीत को भी ऐसे ही अनुभवों से गुजरना पड़ा होगा। इसीलिए उन्होंने लिखा, ‘यह सिर्फ जेंटलमेन्स गेम नहीं है। यह सबका खेल है।'”

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