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जब टीम इंडिया को मिला रियल ‘कबीर खान’, फिर बनी महिला विश्वकप 2025 में चक दे इंडिया जैसी सच्ची कहानी

साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म चक दे इंडिया में शाहरुख खान ने महिला हॉकी टीम के कोच कबीर खान का किरदार निभाया था, जो अपनी टीम को पूरी तरह बदलकर चैंपियन बनाता है। अब कुछ वैसा ही कारनामा रियल लाइफ में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के हेड कोच अमोल मजूमदार ने कर दिखाया है। उन्होंने टीम की सोच, रणनीति और आत्मविश्वास तीनों में क्रांतिकारी बदलाव लाकर भारत को पहली बार महिला वनडे विश्व कप का खिताब दिलाया है।

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अमोल मजूमदार का क्रिकेट करियर असाधारण प्रतिभा से भरा रहा, लेकिन किस्मत हमेशा उनसे एक कदम आगे रही। स्कूल टूर्नामेंट में जब सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी की थी, तब अमोल पैड पहनकर अपनी बल्लेबाजी का इंतजार करते रह गए।

साल 1994 में उन्होंने मुंबई की ओर से रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और अपने शानदार प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा। घरेलू क्रिकेट में 50 से ज्यादा की औसत से बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 11,000 से अधिक रन बनाए। इसके बावजूद, उन्हें कभी भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला।

2012 तक इंतजार करने के बाद उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। लेकिन किसने सोचा था कि 50 साल की उम्र में ही सही, मजूमदार भारत को विश्व विजेता बनाकर अपना सपना पूरा करेंगे। 50 साल और 357 दिन की उम्र में उन्होंने वह कर दिखाया जो लाखों खिलाड़ियों का सपना होता है कि टीम इंडिया को विश्व कप जिताना है।

क्रिकेट से संन्यास के बाद अमोल मजूमदार ने अपने अनुभव को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का फैसला किया। उन्होंने इंडिया अंडर-19 और अंडर-23 टीमों के साथ बतौर बल्लेबाजी कोच काम किया। 2013 में उन्हें नीदरलैंड क्रिकेट टीम का बल्लेबाजी सलाहकार बनाया गया। 2018 से 2020 तक वह राजस्थान रॉयल्स की टीम के साथ जुड़े रहे। इसी दौरान उन्होंने साउथ अफ्रीका नेशनल टीम के साथ भी अंतरिम बल्लेबाजी कोच की भूमिका निभाई।

साल 2023 में बीसीसीआई ने अमोल मजूमदार को भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हेड कोच नियुक्त किया। उनके कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही टीम की मानसिकता और रणनीति दोनों में बड़ा बदलाव देखने को मिला। उन्होंने खिलाड़ियों के आत्मविश्वास, फिटनेस और सामूहिक खेल पर फोकस किया। दो साल की मेहनत और दूरदर्शी योजना का नतीजा रहा कि 2025 में भारत ने महिला वनडे विश्व कप का खिताब अपने नाम कर इतिहास रच दिया।

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